हरियाणा सरकार ने इस साल ईद-उल-फितर की राजपत्रित (गजटेड) छुट्टी को बदलते हुए इसे प्रतिबंधित अवकाश (रिस्ट्रिक्टेड हॉलिडे) में शामिल कर दिया है। इसका मतलब यह है कि अब यह छुट्टी अनिवार्य रूप से सभी को नहीं मिलेगी, बल्कि कर्मचारी अपनी इच्छा से इस दिन अवकाश ले सकते हैं। सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष और मुस्लिम समुदाय में नाराजगी देखी जा रही है।
कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने सरकार के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया। उन्होंने सवाल उठाया कि जब ईद पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है और अन्य राज्यों में इसे सार्वजनिक अवकाश दिया जाता है, तो हरियाणा में इसे क्यों हटा दिया गया? उनका कहना है कि यह फैसला मुस्लिम समुदाय के अधिकारों को नजरअंदाज करने जैसा है।
मुख्यमंत्री नायब सैनी और मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने इस बदलाव का कारण प्रशासनिक जरूरतों को बताया है। सरकार का कहना है कि 31 मार्च को वित्तीय वर्ष का आखिरी दिन होने के कारण दफ्तरों का खुला रहना जरूरी है, इसलिए ईद की छुट्टी को अनिवार्य अवकाश से हटा दिया गया है।
हरियाणा सरकार द्वारा जारी वार्षिक अवकाश कैलेंडर में मार्च महीने के लिए तीन महत्वपूर्ण छुट्टियां तय की गई थीं:
- 14 मार्च: होली
- 23 मार्च: शहीद दिवस
- 31 मार्च: ईद-उल-फितर
हालांकि, सरकार ने अब ईद की छुट्टी को नियमित अवकाश से हटाकर वैकल्पिक छुट्टियों की सूची में डाल दिया है। इस बदलाव को लेकर सोशल मीडिया पर भी बहस छिड़ गई है, जहां कुछ लोग इसे प्रशासनिक मजबूरी बता रहे हैं, तो वहीं कई इसे धार्मिक भेदभाव का मामला मान रहे हैं।